न्यूयार्क, । संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के राजदूत ने कहा कि सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के साथ अल-कायदा के संपर्क लगातार
जबूत हो रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस आतंकवादी संगठन को ताकतवर होने का मौका दिया है। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने वैश्विक आतंकवाद निरोधक परिषद की तरफ से मंगलवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक कार्रवाई सम्मेलन-2022 में कहा कि इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने अपने तरीके बदल लिए हैं। उसका ध्यान सीरिया व इराक में फिर से जमीन मजबूत करने पर है और इसके क्षेत्रीय सहयोगी संगठन विशेष रूप से अफ्रीका व एशिया में अपना विस्तार कर रहे हैं। तिरुमूर्ति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद निरोधक कार्रवाई समिति-2022 के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 के 9/11 के आतंकी हमलों ने इस बात को रेखांकित किया था कि आतंकवाद का खतरा गंभीर और सार्वभौमिक है तथा दुनिया को इसके खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है। खत्म हुआ आतंकियों के वर्गीकरण का दौर भारतीय राजनयिक ने कहा, आतंकियों को आपके और मेरे के रूप में वर्गीकृत करने का दौर चला गया। आतंकवाद के सभी स्वरूपों की निंदा होनी चाहिए। उन्होंने धर्म, राजनीति या अन्य किसी भी कारण से आतंकवाद के वर्गीकरण संबंधी सदस्य देशों की प्रवृत्ति को 'खतरनाक' करार दिया। तिरुमूर्ति ने कहा कि वर्ष 1993 में मंुबई बम धमाकों के लिए जिम्मेदार अपराध सिंडिकेट को न सिर्फ सरकारी संरक्षण दिया गया, बल्कि उनकी पांच सितारा स्तर की आवभगत भी की गई। भारत का परोक्ष रूप से इशारा पाकिस्तान में कथित रूप से छिपे गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम की ओर था। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के बीच संबंधों का पूरी तरह संज्ञान लिया जाना चाहिए और पूरी ताकत से निपटा जाना चाहिए। मालूम हो कि अगस्त 2020 में पाकिस्तान ने पहली बार अपनी जमीन पर दाऊद इब्राहिम की उपस्थिति को स्वीकार किया था, जब सरकार ने 88 प्रतिबंधित आतंकी समूहों और उनके सरगनाओं पर व्यापक प्रतिबंध लगाए थे। इसमें दाऊद का नाम भी शामिल था।
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