बेकाबू नहीं है कोरोना वायरस का नया स्‍ट्रेन, मौजूदा वैक्‍सीन का इस पर असफल होने का भी सुबूत नहीं- WHO

Khoji NCR
2020-12-23 09:25:50

नई दिल्‍ली । ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए स्‍ट्रेन के बाद जहां कई देशों ने ब्रिटेन के लिए अपनी हवाई और जमीनी सीमा को बंद करने का फैसला किया है वहीं विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन का कहना है कि ये

्‍ट्रेन बेकाबू नहीं है इसको रोका जा सकता है। डब्‍ल्‍यूएचओ की तरफ से इस बयान को खुद संगठन के महानिदेशक ने दिया है। उनका कहना है कि अब तक इस बात के भी कोई सुबूत नहीं मिले हैं कि कोविड-19 की वैक्‍सीन इसको खत्‍म करने में असफल साबित होगी। इसको लेकर विश्‍व के कई वैज्ञानिकों के बीच भी सहमति बनती दिखाई दे रही है कि इस नए स्‍ट्रेन पर वैक्‍सीन बेअसर साबित नहीं होगी। आपको बता दें कि ब्रिटेन के अलावा वायरस का ये नया स्‍ट्रेन इटली, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, आइसलैंड, नीदरलैंड्स और डेनमार्क में भी मिला है। इसको देखते हुए ही यूरोपीय देशों ने एहतियातन सीमाओं को बंद करने का फैसला लिया है। ब्रिटेन से आने वाली खबरों में कहा गया है कि ये स्‍ट्रेन पहले से अधिक संक्रामक तो है लेकिन उतना घातक नहीं है। वहीं डब्‍ल्‍यूएचओ की तरफ से कहा गया हे कि इसको लेकर जांच की जा रही है। इसके बावजूद संगठन का मानना है कि इस स्‍ट्रेन को रोकपाना संभव है। संगठन की इमरजेंसी हैड माइक रैयान के मुताबिक अभी तक इस स्‍ट्रेन की वजह से स्थिति बेकाबू नहीं हुई है। लेकिन इसको ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता है। संगठन की तरफ से सभी देशों को इस दिशा में उचित कदम उठाने के लिए भी कहा गया है। यूएन की तरफ से आई खबर में कहा गया है कि नए स्‍ट्रेन से संक्रमित मरीज लगभग दो और लोगों को संक्रमित कर सकता है, जबकि पूर्व में मरीज केवल एक ही व्‍यक्ति को संक्रमित कर पाता था। इस लिहाज से पहले जो स्‍ट्रेन पाए गए हैं उनकी रिप्रोडेक्‍शन की दर करीब 1.1 है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि कोरोना वायरस में शुरुआत से लेकर अब तक करीब 25 बार बदलाव को दर्ज किया जा चुका है। वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि ये कितना खतरनाक है इस बारे में फिलहाल कुछ भी कहना जल्‍दबाजी होगी। वहीं ब्रिटेन में न्‍यू एंड इमर्जिंग रेस्पिरेटरी वायरस थ्रेट्स एडवाइजरी के वैज्ञानिकों का कहना है कि ये वायरस बच्‍चों के लिए काफी घातक हो सकता है। इन वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि ये पूरे देश को अपनी जकड़ में ले सकता है। फिलहाल दक्षिण ब्रिटेन से इसके मामले सामने आए हैं। भारत में हालांकि इस नए स्‍ट्रेन का अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है। नीति आयोग के सदस्‍य डॉक्‍टर वीके पॉल ने भी माना है कि ये स्‍ट्रेन अधिक संक्रामक जरूर है लेकिन घातक नहीं है। इस बीच जर्मनी की कंपनी बायोएनटेक ने कहा हे कि उनकी वैक्‍सीन कोरोना वायरस की करीब 20 किस्‍मों के खिलाफ असरदार साबित हुई है। इस दौरान जांच में शरीर में सफल इम्यून प्रतिक्रिया देखी गई है। इसकी वजह से कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने में भी मदद मिली है।

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