पुन्हाना, कृष्ण आर्य मकर सक्रांति पर्व हमारी हिंदू संस्कृति का ऐतिहासिक व वैज्ञानिक महत्व का पर्व है। यह पर्व परिवार में जहां सम्मान का प्रतीक है, वही विविधता से भरे देश में हमारी संस्कृति
ा परिचायक है। उक्त बातें गौ सेवा आयोग के पूर्व चेयरमैन भानी राम मंगला ने आर्य समाज सत्य सदन में आयोजित मकर संक्रांति उत्सव के अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर आर्य समाज में विशाल हवन यज्ञ का भी आयोजन किया गया। भानी राम मंगला ने कहा कि मकर सक्रांति पर्व का ऐतिहासिक व वैज्ञानिक महत्व है। उन्होंने बताया कि इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। सर्दी का प्रकोप कम होकर दिन बढ़ने लगते हैं। सूर्य के तापमान में वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि इस दिन का महत्व जानकर ही भीष्म पितामह ने शरशैया पर अपने प्राण त्यागे थे। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है। जिसका वैज्ञानिक प्रभाव पड़ने के कारण रोग फैलने का डर होता है। जिसके लिए हमारी संस्कृति में इस अवसर पर गुड़ व तिल से बने पदार्थ के सेवन को उपयुक्त बताया गया है। जिससे हमारे शरीर के स्वास्थ्य की रक्षा होती है। उन्होंने बताया कि मकर सक्रांति का पर्व हमारी ऐतिहासिकता का प्रतीक है, इस पर्व को सभी को मिलजुलकर मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस दिन यज्ञ का भी बहुत महत्व होता है। हम सभी को आपस में मिलजुल कर पर्वों का आयोजन करना चाहिए। जिससे समाज में एकात्मता व तिल व गुड़ की तरह मिलकर रहने की प्रेरणा मिलती है। इस अवसर पर आर्य समाज सत्य सदन के प्रधान सुरेंद्र आर्य व उप प्रधान लालाराम भारद्वाज ने भी अपने विचार रखे और मकर सक्रांति के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में गगन मंगला, दाताराम, गिर्राज प्रजापति, पवन बंसल, मनोज, विष्णु आर्य, मास्टर जीवनलाल सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।
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