10,000 हेक्टेयर में सरसों, 7000 में गेहूं, 30 में जौ, 100 में चना चिराग गोयल,फिरोजपुर झिरका ।फिरोजपुर झिरका उपमंडल के गांवों में इन दिनों सरसों की बंपर फसल और खिलते पीले फूलों ने किसानों के चेहरों पर रोन
ला दी है। बुधवार सुबह से रुक रककर हो रही बूंदाबांदी, बढ़ती ठंड और औंस गेहूं और सरसों की फसल के लिए वरदान साबित हो रही है। इस बार केवल नगीना क्षेत्र में 10,000 हेक्टेयर में सरसों, 7000 में गेहूं, 30 में जौ, 100 में चना की बिजाई की गई है। जहां में गेंहू में फुटाव बढ़ रहा है तो सरसों के फूल खुशबू बिखेर रहे हैं। खिलते पीले फूलों के बाद अब फलियां भी डालियों में दिखाई देने लगी है। घागस गांव के किसान समी खान ने बताया कि हमारे खेतों में चिकनी और रेतीली मिट्टी है जो 25 से 30 दिन में सिंचाई मांगती है। किसानों ने बताया कि इस बार सरसों और गेहूं की बंपर पैदावार होगी जिससे उत्पादन बढ़ेगा। गुमट बिहारी गांव के किसान फजरुद्दीन कल्लू ने बताया कि इस बार फसल पर कीट-पतंगों का असर नहीं है। बादल छाए रहने से चेंपा होने की आशंका है। अभी तक कोहरे का असर भी नहीं फसल पर नहीं है। बीमारी से करें बचाव: कृषि विभाग के मुताबिक अल्टरनेरिया ब्लाईट रोग तथा सफेद रत्वा जैसे रोग सरसों की फसल में लगते हैं इसलिए किसान भाइयों को सिंचाई का ध्यान रखना। अगर चेंपा कीट से मेटासिस्टोक या रोगोर नामक दवाई 250-300 मिली लीटर को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिडक़ाव करें। तो इस रोग से बचा जा सकता है। साथ में 600-800 ग्राम डीएम-45 नामक दवाई को 250 लीटर पानी में मिलाए तथा इसका छिड़काव करें। बोई गई यह किस्में: जिले में आरएच-30, लक्ष्मी, गीता किस्म की बिजाई हुई है। इन किस्मों में तेल की मात्रा 40 से 41 प्रतिशत तक होती है और 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है तथा एक हेक्टेयर में औसतन 16 क्विंटल पैदावार होती है। सरसों की तुड़ी भी 1500 से 2000 रूपये प्रति एकड़ बिक्री हो जाती है। ............... बूंदाबांदी और आसमान में बादलों के छाए रहने से सरसों की फसल पर कीट, चेंपा लगने के आसार हैं। नगीना क्षेत्र के किसानों ने 10,000 हेक्टेयर में सरसों, 7000 हेक्टेयर में गेहूं, 30 हेक्टेयर में जौ, 100 हेक्टेयर में चना बिजाई की है। किसान भाइयों को ध्यान रखना है कि मोनोक्रोटा कोस दो एमएस एक लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। डायनीथेएट नामक दवा एक एमएल प्रति लीटर पानी के हिसाब से डालें। गेहूं में पीलापन को खत्म करने के लिए जिंक डालें। भगवान दास, एसडीओ कृषि विभाग फिरोजपुर झिरका
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