तावडू, 5 जनवरी (दिनेश कुमार): मानवता ने जब भी चेतना को प्राप्त किया तो उसमें सर्वशक्ति सम्पन्न को मातृ रूपेण ही देखा है। इसी कारण भारत में ऋषियों ने गऊमाता, गंगामाता, गीतामाता, गायत्री माता और धर
ी माता को समान रूपेण प्रथम पूजनीय घोषित किया है। यह विचार अरविंद जी महाराज ने रखे। उन्होंने कहा कि पंचामृतकाओं में गाय ही सर्वश्रेष्ठ है और सबकी केन्द्रीय भूशक्ति है। पौराणिक कथा अनुसार जब जब धरती पर विपत्ति आती है, तो यह धरणी गायें का ही स्वरूप धारण करती है। परपपिता परमेश्वर के बाद अपनी विपत्ति के निवारण के लिए गायें माता की ही पूजा अर्चना की जाती है। भारतीय समाज में यह विश्वास है कि गायें देवत्व और प्रकृति की प्रतिनिधि है। इसलिए इसकी रक्षा और पूजन कार्य श्रेष्ठ माना जाता है। सर्वशक्तिमान परमात्मा अपने अन्यान्य शक्तियों के साथ धरती पर प्रकट होती है। गाय में 33 करोड देवी देवताओं को वास होता है। इसलिए गाय का प्रत्येक अंग पूजनीय माना जाता है। यह धारणा भी सच्ची है कि गौ सेवा करने से एकसाथ 33 करोड़ देवी देवता प्रसन्न हो जाते है। इसलिए सभी को गौ माता की सेवा के साथ साथ पूजा अर्चना भी करनी चाहिए। इससे सभी को सुख समृद्धि प्राप्त होगी।
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