हमारी संस्कृति क्रिसमस नहीं, तुलसी पूजन है

Khoji NCR
2021-12-25 13:04:52

दुर्गा वाहिनी द्वारा आयोजित किया गया तुलसी पूजन कार्यक्रम , नूंह: आधुनिकता की आड में हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। अंग्रेजों की गुलामी के दौरान हमारी संस्कृति पर सबसे अधिक हमला किया

या। जिसका नतीजा आज युवा पीढी ही नहीं बल्कि सभी लोगों पर साफ देखा जा रहा है। यही कारण है कि 25 दिसंबर को तुलसी पूजन की बजाए लोग क्रिस्मस मनाने लगे हैं। ये कथन विश्व हिंदू परिषद के घटक दुर्गा वाहिनी की प्रांत सह संयोजिका नेहा सिंह ने नूंह में मनाए गए तुलसी पूजन कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि कहे। कार्यक्रम में दुर्गा वाहिनी से सावित्री, आरती, पूजा, किरण, ममता, मूर्ति, सरोज, माया, निर्मल, सुनीता, विनीता, अनीता रानी, रश्मि, अनुष्का आदि सहित शहर की काफी महिलाएं मौजूद रहीं। नेहा सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति तुलसी पूजन है, न की क्रिस्मस मनाना। लेकिन पाश्चात्य संस्कृति की अंधी होड में आज हम अपनी संस्कृति को ही भूलते जा रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद तथा इससे जुडे अन्य संगठन आज भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए प्रयासरत हैं। जिसके तहत हर घर में एक तुलसी लगाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। तुलसी न केवल हमारे लिए श्रद्धा का प्रतीक है बल्कि एक विशेष जड़ी-बूटी भी है। जो अनेक प्रकार के रोगों के निवारण के लिए प्रयोग की जाती है। जिस पर प्रकार गाय अपने गुणो के कारण हमारे लिए पूजनीय होती है। वैसे ही तुलसी भी अपने अपार गुणों के कारण हमारे में पूजनीय है। हर परिवार में एक तुलसी अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। इससे पहले कार्यक्रम में तुलसी की विधिवत पूजा की गई तथा आरती की गई। बता दें कि नूंह नगर में दुर्गा वाहिनी द्वारा दो स्थानों पर तुलसी पूजन का कार्यक्रम किया गया। जिसमें दो सौ से अधिक महिलाओं ने पूजन किया।

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