भू-जल संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए केंद्रीय मंत्रालय ने अटल भू-जल योजना बनाई हथीन/माथुर : हरियाणा सिंचाई विभाग के अन्तर्गत राज्य परियोजना प्रबंधन इकाई से लोक विज्ञान संस्थान (पीएसआई) के
विशेषज्ञ अनील गौतम ने बताया कि अटल भू-जल योजना का प्रमुख उद्देश्य हरियाणा में भू-जल संसाधनों का हाइड्रोजियोलॉजिकल डेटा नेटवर्क तैयार करना है और यह राज्य में भू-जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए सामुदायिक संस्थानों के निर्माण को भी प्रोत्साहित करता है। इस मौके पर उन्होंने मिंडकोला के आस पास के क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने शनिवार को ग्राम श्यारोली में एक चौपाल पर ग्रामीणों को जल भराव की समस्या के संबंध में चर्चा की। उन्होंने बताया कि भविष्य में इसके प्रति विभाग की ओर से उचित कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत सामुदायिक लामबंदी और जागरूकता गतिविधियों के साथ-साथ हितधारकों के क्षमता निर्माण और पहचान किए गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में लोगों की भागीदारी को बढ़ाने पर विशेष बल दिया जाएगा। इस योजना में जिला कार्यान्वयन भागीदार एनजीओ के रूप में स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट के साथ मिलकर योजना के विभिन्न पहलुओं पर ग्राम पंचायत की मदद करेंगे। जिसमें जल बजट और जल सुरक्षा योजनाओं के विकास सहित सामुदायिक लामबंदीय जल उपयोगकर्ता एसोसिएशन का गठन, आंकड़ा संग्रहण, सूचना, शिक्षा और संचार आदि गतिविधियां शामिल हैं। सिंचाई विभाग अन्तर्गत हरियाणा में अटल भू-जल योजना अपने प्रारंभिक चरण में है और इसके कई सकारात्मक परिणाम सामने आने की उम्मीद है। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग से कार्यकारी अभियंता धारिवाल ने बताया कि देश के एक बड़े हिस्से में भू-जल संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए केंद्रीय मंत्रालय ने अटल भूजल योजना तैयार की है। इसका उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से देश में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में भू-जल प्रबंधन में सुधार करना है। हरियाणा में योजना के तहत भू-जल संसाधनों का हाइड्रोजियोलॉजिकल डाटा नेटवर्क तैयार किया जाएगा। यह राज्य में भू-जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए सामुदायिक संस्थानों के निर्माण को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने बताया कि योजना में जिला क्रियान्वयन भागीदार (डीआईपी) एनजीओ के रूप में स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (एसपीएमयू) के साथ मिलकर योजना के विभिन्न पहलुओं पर ग्राम पंचायत की मदद करेंगे। इसमें जल बजट और जल सुरक्षा योजनाओं (डब्ल्यूएसपी) के विकास सहित सामुदायिक लामबंदी, जल उपयोगकर्ता एसोसिएशन का गठन (डब्ल्यूयूए), आंकड़ा संग्रहण, सूचना, शिक्षा और संचार आदि गतिविधियां शामिल हैं। इसमें स्थायी भू-जल प्रबंधन, योजना के दौरान जोहड़ की सफाई, पौधारोपण, साक पिट का निर्माण करना, वर्षा जल संचयन के लिए टैंक व बोरवेल बनाना, खेती में फसल चक्र परिवर्तन करवा कर बागवानी को बढ़ावा देना तथा सिचाई के लिए जरूरत के हिसाब से ही पानी इस्तेमाल करना इत्यादि कार्य किए जाएंगे। वारिश खान सूकेडिय़ा ने बताया कि अटल भू-जल योजना में पहले से विभिन्न विभागों की चलाई जा रही योजनाओं एवं उनके पास उपलब्ध आंकड़ों का भी सहयोग लिया जाएगा। इसके लिए उन्होंने वन विभाग, पंचायत विभाग, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, बिजली वितरण निगम, कृषि, बागवानी, राजस्व इत्यादि विभागों के अधिकारियों की मदद ली जा रही है । उन्होंने कहा है कि सभी विभाग मिलकर केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए इस जल संरक्षण कार्यक्रम में अपनी अपनी मदद करेंगे। अटल भूजल योजना के सफल संचालन के लिए स्टेट लेवल, जिला स्तर, खंड एवं ग्राम स्तर पर प्रशासनिक अधिकारियों की निगरानी में इकाईयां बनाई गई हैं। तकनीकी विशेषज्ञ महेंद्र ने बताया कि इस कार्यक्रम में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि धरती का जलस्तर जो तेजी से नीचे गिरता जा रहा है उसको कम किया जा सके। इसके लिए चुने गए हर एक गांव में पानी का स्तर नापने की मशीनें व उपकरण लगाए जाएंगे। जिनमें पीजोमीटर, रेन गेज, फ्लोमीटर इत्यादि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए हर एक गांव का वाटर सिक्योरिटी प्लान बनाया जाएगा। जिसे ग्राम सभा की बैठक में मंजूर करवाया जाएगा। इसके अलावा ग्रामीणों से जल संरक्षण के लिए सुझाव भी मांगे जाएंगे। उन्होंने बताया कि हथीन क्षेत्र के आधा दर्जन गांव में सेम की समस्या रहती है। इसकी वजह से सैकड़ों एकड़ जमीन में फसल का उत्पादन नहीं होता है। अब सरकार इस समस्या का हल करने की तरफ कदम उठाने जा रही है। जल्दी ही अटल भूजल मिशन के तहत योजना बनाई जाएगी और उसे माइक्रो सिचाई विभाग की जमीन में करीब तीन फुट नीचे पत्थर की परत है। पत्थर की परत होने के कारण जमीन बारिश के पानी का संरक्षण नहीं कर पाती है। इसलिए यहां पर जलभराव होता है। इन गांवों की सैकड़ों एकड़ जमीन पर फसल न होने से किसानों को बहुत दिक्कत होती है। उनकी आर्थिक दशा सुधारने के लिए अटल भूजल मिशन के तहत योजना बनाई जाएगी। कुछ इस तरह अपनाई जाएगी प्रक्रिया जमीन के नीचे के पानी को ट्यूबवेलों से निकाल कर नहर में डाला जाएगा। बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भूजल में शामिल किया जाएगा। इस तरह से यहां पर नीचे मीठा पानी संरक्षित किया जाएगा। खारे पानी से बनी सेम खत्म हो जाएगी और जमीन उपजाऊ बनाई जाएगी। बाक़ी गांवों के पानी को नाले में डालने के लिए ट्यूबवेल या अन्य साधनों के बारे में योजना बनाई जाएगी। ये योजना हम माइक्रो सिचाई विभाग के साथ मिलकर बनाएंगे। गांवों का मौका भी देखा जाएगा। इस मौके पर कनिष्ठï अभियंता राहुल व डीआईपी टीम से स्नेहा एवं उनकी टीम ने हिस्सा लिया ओर लोगों को योजना के बारे में विस्तार से बताया तथा किसानो द्वारा सुझाए गए सुझावों को भी डबल्यू एस पी में शामिल किया जायेगा।
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