नूंह: रविवार को पंडित रामप्रशाद बिस्मिल की पुण्यतिथि के मौके पर भारत स्वाभिमान तथा पतंजली योग समिति द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इससे पहले नूंह के आर्य समाज मंदिर में हवन यज्ञ कि
या गया तथा बिस्मिल के चित्र पर पुष्प अर्पित किए गए। शहर के लोगों ने रामप्रशाद बिस्मिल को याद करते हुए उनके बलिदान को नमन किया। भारत स्वाभिमान से झम्मन सिंह सैनी एडवोकेट ने कहा कि रामप्रशाद बिस्मिल एक महान क्रांतिकारी थे। जिस आयु में युवक अपने कैरियर बनाने के लिए मेहनत करते हैं, उस आयु में उन्हें देशभक्ति का जुनून था। महज 19 वर्ष की आयु में ही वे क्रांतिकारी संगठनों का अहम हिस्सा बन गए थे। उन्होंने अपने जीवन में अनेकों साहित्य लिखे तथा प्रकाशित कराए। पुस्तकों को बचने से जो पैसा मिलता था, उसे भी वे हथियान खरीदने में खर्च कर देते थे। वे ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कं्रातिकारी संगठनों का नेतृत्व करते थे। बिस्मिल ने अपने साथियों के सहायता से काकोरी रेलवे स्टेशन पर ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटा। 6 अप्रैल 1927 को विशेष सेशन जज ए हैमिल्टन ने अपने 115 पेज के निर्णय में आरोपों पर विचार करते हुए कहा कि यह कोई साधारण लूट नहीं थी। बल्कि ब्रिटिश सरकार को उखाड फेंकने की सजिश थी। जिसके बाद उन्होंने बिस्मिल को फांसी की सजा सुनाई तथा 19 दिसंबर 1927 को उन्हें फंासी दे दी गई। उन्होंने कहा कि महज 30 वर्ष की आयु में यह महान क्रांतिकारी ब्रिटिश सरकार की जडें़ हिला गया। आज ऐसे महान व्यक्तित्व को याद करना जरूरी है। इस मौके पर महिला पतंजली प्रभारी नीरज रानी, प्रकाश चंद सैनी, सुरेश आर्य, ओमप्रकाश बत्रा, जय भगवान आर्य तथा कन्हैया लाल आदि उपस्थित रहे।
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