कुरुक्षेत्र ,14 दिसंबर(सुदेश गोयल): अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2021 के अवसर पर इस बार कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा विश्वगुरु भारत तथा 48 कोस कुरुक्षेत्र विषय पर दो प्रदर्शनियों का आयोजन पुरु
षोत्तमपुरा बाग, ब्रह्म सरोवर, कुरुक्षेत्र में किया गया। इन दोनों रोचक और ज्ञानवर्धक प्रदर्शनियों को देखने के लिए प्रतिदिन हजारों पर्यटक आ रहे है तथा इनके माध्यम से कुरुक्षेत्र भूमि और प्राचीन भारत के विषय में ज्ञान अर्जित कर रहे है। इन प्रदर्शनियों का उद्घाटन माननीय राज्यपाल हरियाणा एवं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अध्यक्ष बंडारू दत्तात्रेय द्वारा दिनांक 9 दिसम्बर 2021 को किया गया। यह प्रदर्शनियां 14 दिसम्बर तक चलेंगी। राज्यपाल हरियाणा इसके अवलोकन के बाद कहा कि यह दोनों प्रदर्शनियां आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आने वाले पर्यटकों, तीर्थ यात्रियों एवं दर्शकों को प्राचीन भारत एवं प्राचीन कुरुक्षेत्र भूमि के गौरव से परिचित करायेंगी। उन्होंने इन प्रदर्शनियों के आयोजन के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की खूब प्रशंसा की। पहली प्रदर्शनी विश्वगुरु भारत को सात भागों में प्रदर्शित किया गया है जिसके प्रथम भाग में अखण्ड भारत के सांस्कृतिक विस्तार को दिखाया गया है। इसके साथ ही इस भाग में भारत की प्राचीन सरस्वती-सिन्धु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण नगरों को प्रदर्शित किया गया है जिसमें इस सभ्यता के हरियाणा स्थित नगर राखीगढ़ी, कुणाल, बनावली एवं भिरड़ाना को प्रमुख रुप से दिखाया गया है। इसके पश्चात ऐतिहासिक एवं मध्यकालीन भारत की प्रमुख सांस्कृतिक उपलब्धियों को दिखाकर अंत में भारत के विश्व धरोहर स्थलों को दिखाया गया है। प्रदर्शनी के दूसरे भाग में भारतीय धर्म-दर्शन एवं शिक्षा परम्परा को प्रदर्शित किया गया है जिसमें प्राचीन दार्शनिकों, प्राचीन विश्वविद्यालयों तथा आधुनिक भारत की दार्शनिक विभूतियों एवं उनके कृत्यों को संक्षिप्त रुप से दिखाया गया है। प्रदर्शनी के तीसरे भाग में भारत की विख्यात सन्त एवं भक्त परम्परा को प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक दिखाया गया है। प्रदर्शनी के चौथे भाग में भारत की गौरवशाली विज्ञान परम्परा एवं पांचवें भाग में भारत की वीर परम्परा को स्थान दिया गया है। आजादी के अमृत महोत्सव को ध्यान में रखते हुए प्रदर्शनी का छटवां भाग भारत के दो स्वाधीनता संग्रामों को समर्पित किया गया है। प्रदर्शनी के अन्तिम भाग में भारत की विश्वगुरु बनने के संसाधनों एवं क्षमताओं तथा उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया है। इस प्रदर्शनी के सम्पूर्ण अवलोकन से कोई भी जिज्ञासु भारत के विश्वगुरु के स्वरुप को अच्छी तरह समझ सकता है। विशेषकर विद्यार्थियों के लिए यह बहुत ही लाभदायक एवं ज्ञानाअर्जन का माध्यम बन सकता है। दूसरी प्रदर्शनी 48 कोस कुरुक्षेत्र को भी सात भागों में प्रदर्शित किया गया है जिसके प्रथम भाग में 48 कोस कुरुक्षेत्र भूमि के सांस्कृतिक महत्व, प्राचीन भूगोल तथा तीर्थों की स्थिति सहित राजा कुरु द्वारा धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र के निर्माण का प्रसंग दिखाया गया है। प्रदर्शनी के दूसरे भाग में 48 कोस कुरुक्षेत्र भूमि के तीर्थों का वर्गीकरण किया गया है जिसमें ऋषि तीर्थों, देव तीर्थों, सूर्य तीर्थों, मोक्ष तीर्थों, यक्ष तीर्थों एवं कुरुक्षेत्र भूमि के तीर्थों पर वर्ष भर में लगने वाले मेलों का विवरण भी दिया गया है। प्रदर्शनी के तीसरे भाग में महाभारत प्रसंग पर आधारित तीर्थों का प्रदर्शन किया गया है। प्रदर्शनी का चौथा भाग कुरुक्षेत्र की सूर्य पूजा एवं सूर्यग्रहण को समर्पित है जिसमें आदि काल से सूर्यग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र स्नान की परम्परा को दिखाया गया है। प्रदर्शनी के छटवें भाग में सुदूर-पूर्व ऐशियाई देश लाओस में नए कुरुक्षेत्र की स्थापना तथा कम्बोडिया एवं इण्डोनेशियों जैसे अनेक देशों में महाभारत के प्रभाव को प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी के अन्तिम भाग में कुरुक्षेत्र के पुनरुत्थान के लिए भारत रत्न गुलजारी लाल नन्दा जी द्वारा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की स्थापना एवं उनके द्वारा कुरुक्षेत्र के तीर्थों के जीर्णोद्धार का शुभारम्भ दिखाया गया है। इसके साथ ही इस भाग में समय-समय पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा तीर्थों के विकास कार्यों एवं वर्तमान सरकार द्वारा बड़े स्तर पर तीर्थों के विकास के लिए किए जा रहे कार्यों को प्रदर्शित किया गया है। इसी भाग में माननीय मुख्यमंत्री हरियाणा श्री मनोहर लाल द्वारा 50 से भी अधिक तीर्थों के विकास हेतु भ्रमण और कुरुक्षेत्र के गीता जयन्ती महोत्सव को अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का स्वरुप देने जैसे विषय शामिल है। इन दोनों प्रदर्शनियों को रोचक बनाने के लिए प्रत्येक प्रदर्शनी में कियोस्क स्थापित किए गए हैं जिनमें दर्शक पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देकर अपनी ज्ञान शक्ति का परिचय दे सकते हैं। प्रश्नमाला में पूछे गए सभी प्रश्न केवल प्रदर्शनियों में दिखाए गए प्रसंगों पर ही आधारित है। इन दोनों प्रदर्शनियों का की रुपरेखा एवं प्रदर्श योजना श्रीकृष्ण संग्रहालय में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अनुभव मेहता के मार्गदर्शन में तैयार की गई।
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