अमेरिका, कोमल त्वचा वाले शिशुओं की इम्युनिटी वयस्कों से अधिक मजबूत होती है। पैथोजन्स (रोगजनकों) से मुकाबले में शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली वयस्कों को मात देती है। शोधकर्ताओं का यह हालिया अ
ध्ययन निष्कर्ष साइंस इम्यूनोलाजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। माइक्रोबायोलाजी एवं इम्यूनोलाजी की प्रोफेसर डोना फार्बर तथा कोलंबिया यूनिवर्सिटी वैगेलोस कालेज आफ फिजिशियन एंड सर्जन (अमेरिका) में सर्जिकल साइंस के प्रोफेसर जार्ज एच. हंफ्रेस द्वितीय कहते हैं, ‘शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली की जब वयस्कों के साथ तुलना की जाती है, तो उसे कमजोर और अविकसित माना जाता है। लेकिन, यह सच नहीं है।’ इंफ्लूएंजा व रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस के कारण वयस्कों के मुकाबले शिशुओं में श्वसन संबंधी कई बीमारियां होती हैं, जिसकी प्रमुख वजह है कि वे पहली बार इन वायरस की चपेट में आते हैं। नए अध्ययन में फार्बर व उनके सहयोगियों ने एक नए रोगजनक के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया और उसे खत्म करने की क्षमता का आकलन किया। इस दौरान शोधकर्ताओं ने वैसी टी सेल्स (प्रतिरक्षा कोशिकाएं) का संग्रह किया, जिनका रोगजनक (पैथोजन) से कभी मुकाबला नहीं हुआ था। इन टी सेल को वायरस से संक्रमित चूहे में प्रत्यारोपित किया गया। इस दौरान वायरस को जड़ से खत्म करने में शिशुओं की टी सेल वयस्कों के मुकाबले काफी प्रभावी साबित हुईं। शिशुओं का टी सेल न सिर्फ तेजी के साथ संक्रमित क्षेत्रों में पहुंचीं, बल्कि शीघ्रता के साथ मजबूत प्रतिरक्षा का भी निर्माण किया। शोधकर्ताओं ने बताया कि हम उन टी सेल्स की खोज कर रहे थे, जो पहले कभी सक्रिय नहीं हुए, लेकिन यह बड़े ही आश्चर्य की बात रही कि उनका व्यवहार उम्र के आधार पर अलग-अलग था। यह इंगित करता है कि शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
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