खोजी/सुभाष कोहली कालका। रिजर्व बैंक की ओर से कहा गया था कि कार्य अवधि में बैंक कभी भी अपने काउंटर या टेलर बंद नहीं कर सकते, बैंकों का काम लंच के दौरान बंद नहीं होता है। ग्राहक बैंक के कामकाज के
ौरान किसी भी समय बैंक जा सकता है। बैंक अधिकारी/कर्मचारी अपना लंच का समय दोपहर 1:00 से 3:00 बजे के बीच अलग-अलग यानि रोटेशन में रखेंगे, ताकि काम प्रभावित ना हो, नॉर्मल ट्रांजेक्शन चलते रहना चाहिए। इसके साथ-साथ रिजर्व बैंक का यह भी साफ-साफ कहना था कि लंच ब्रेक में बैंक, गेट बंद नहीं कर सकते और कस्टमर्स को बाहर इंतजार करने को नहीं कह सकते। काउंटर पर कस्टमर्स को अटैंड करने के लिए हमेशा कोई ना कोई होना चाहिए। इसके एवज में बैंकों में दूसरे व चौथे शनिवार को अवकाश देने की भी घोषणा की गई थी, जिसका फायदा कर्मचारी आज भी उठा रहे हैं। परंतु देखने में आया है कि रिजर्व बैंक के ये निर्देश केवल फाइलों में ही दबकर रह गए है। कालका शहर में कई बैंक अपनी मनमानी करते हुए लंच के दौरान यानि दोपहर 2:00 से 2:30 के बीच या अपने-अपने निर्धारित समय के बीच अपने गेट बंद कर देते हैं, इस दौरान कस्टमर्स बाहर धूप, बारिश व गर्मी/सर्दी में खड़े रहकर इंतजार करने को मजबूर होता है। इंतजार करने वालों में बुजुर्ग व महिलाएं भी शामिल रहती हैं। परंतु बैंक अधिकारी रिजर्व बैंक के निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए अपनी मनमानी करते हैं। स्थानीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन (रजि.) ने इस जनसमस्या को गम्भीरता से लिया है, इसी के मद्देनजर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष गुलशन राय की ओर से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय कार्यालय चंडीगढ़ में पत्र लिखकर बैंक अधिकारियों को इस सम्बंध में उचित निर्देश देने की मांग की जाएगी।
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