जेनेवा, रायटर्स। की प्रमुख वैज्ञानिक ने शुक्रवार को एक कांफ्रेंस में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन (Omicron) के बारे में अनेकों अहम जानकारियां दीं। उन्होंने कहा कि यह नया वैरिएंट अत्यधिक स
क्रामक है और इसलिए यह डेल्टा पर हावी (dominant) हो सकता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए अलग से वैक्सीन की जरूरत नहीं है। ओमिक्रोन को कम जोखिम वाला बताने से किया इंकार सौम्या स्वामीनाथन (Soumya Swaminathan) ने आगे कहा कि अभी यह कहना जल्दी होगा कि कोरोना वायरस के पुराने वैरिएंट की तुलना में नया वैरिएंट कम जोखिम वाला होगा। WHO की मुख्य वैज्ञानिक स्वामीनाथन ने बताया कि अभी दुनिया भर में 99 फीसद संक्रमण डेल्टा वैरिएंट के कारण मौजूद है। यूरोपीयन यूनियन और आस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों ने इस बात की संभावना जताई है कि कुछ महीनों के भीतर जितना संक्रमण डेल्टा के कारण फैला था उससे कहीं अधिक तेजी से ओमिक्रोन वैरिएंट का संक्रमण फैल सकता है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में दोगुने रफ्तार से हर दिन संक्रमण को फैलाने वाले ओमिक्रोन के आंकड़ों का भी जिक्र किया और बताया कि यह कितना अधिक संक्रामक है। पैनिक नहीं सतर्क रहने की है जरूरत स्वामीनाथन ने एक इंटरव्यू में कहा, 'हमें ओमिक्रोन को लेकर पैनिक होने की नहीं बल्कि सतर्क रहने के साथ ही इससे बचने के लिए पूरी तरह तैयार रहने की जरूरत है। अब तक नए वैरिएंट से आए संक्रमण के मामले गंभीर लक्षणों वाले या फिर बिना किसी लक्षण के हैं लेकिन फिर भी WHO इस स्टेज में यह नहीं कह सकता कि ओमिक्रोन कम जोखिम वाला वैरिएंट है। दिख रहा वैक्सीन का असर सौम्या स्वामीनाथन ने एंटीबडी के प्रभावी होने की बात कही। उन्होंने कहा, 'ओमिक्रोन का असर कम या धीमा होने का मतलब है कि वैक्सीन कारगर है और इससे बनने वाली इम्युनिटी बचाव कर रही है।' उन्होंने नए वैरिएंट के जोखिमों को कम करने के लिए मौजूदा वैक्सीन के अपग्रेड करने के मामले पर कहा कि बूस्टर डोज ही ओमिक्रोन से बचाव के लिए पर्याप्त है। स्वामीनाथन ने कहा, 'सभी कोरोना वायरस का सामना करने के लिए मौजूदा वैक्सीन काफी है, हो सकता है कि बूस्टर डोज लेने की जरूरत हो।' हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि WHO की टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप इसपर काम कर रही है कि ओमिक्रोन के लिए नई तरह की वैक्सीन की जरूरत है या नहीं।
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