खोजी/नीलम कौर कालका। राजकीय महाविद्यालय कालका की प्राचार्या प्रोमिला मलिक के कुशल नेतृत्व में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया
या। मुख्य वक्ता एमेरिटस राजनीति विज्ञान विभाग और महिला अध्ययन केंद्र, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ की प्रोफेसर डाॅ पैम राजपूत ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न विषय पर विस्तृत जानकारी दी। डाॅ पैम राजपूत ने अपने संबोधन में कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न अधिनियम 9 दिसंबर 2013 में प्रभाव में आया था। कानून के अनुसार निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों को महिला कर्मचारियों की कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन से सुरक्षा के लिये कानूनी अनिवार्यता के अंतर्गत लिया गया है। यह कानून कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को अवैध करार देता है। यह कानून हर उस महिला के लिये मान्य है, जिसका किसी भी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न हुआ हो। कार्यस्थल कोई भी हो सकता है चाहे वह निजी संस्थान हो या सरकारी। जिस महिला के साथ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न होता है, वह शिकायत कर सकती है। इसके लिये प्रत्येक संस्थान में आंतरिक शिकायत समिति है। पीड़ित महिला को तीन महीने के अंदर शिकायत करनी चाहिये। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोमिला मलिक ने अपने संबोधन में कहा कि यौन उत्पीड़न हमारे समाज के विकृत मानसिकता वाले लोगों के द्वारा किया जाने वाला ऐसा काम है, जो समाज को दूषित करता है। यह मानवता के खिलाफ होने वाले जघन्य अपराधों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 25 नवंबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिये दिवस तय किया है। यह खास दिवस 16 दिन की विशेष सक्रियता की शुरूआत के तौर पर देखा जाता है, जो 10 दिसंबर को विश्व मानव अधिकार दिवस तक चलेगा। प्रस्तुत कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने कई प्रश्न भी पूछे और स्वस्थ बातचीत की गई। प्रस्तुत कार्यक्रम यौन उत्पीड़न विरोधी सेल की अध्यक्षा प्रो. डाॅ बिंदु और महिला प्रकोष्ठ की प्रभारी प्रो. डाॅ. रागिनी के मार्गदर्शन और दिशानिर्देशन में किया गया। प्रस्तुत कार्यक्रम को सफल बनाने में नीरू शर्मा और नमिता का भी योगदान रहा।
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