कोरोनावायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन (बी.1.1,529) ने इन दिनों पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा रखी है। 2 दिसंबर को भारत के कर्नाटक में भी इस इंफेक्शन के दो मामले सामने आए हैं। इस वेरिएंट को 24 नवंबर को साउथ अफ्
ीका में पहली बार पहचाना गया था और तब से अब तक इसने दुनियाभर के 31 देशों में महज 8 दिन में 376 संक्रमितों को प्रभावित किया है। आइए जानते हैं ओमिक्रॉन से जुड़े फैक्टर्स के बारे में.... अमेरिकी महामारी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर इरिक फीग्ल-डिंग द्वारा तैयार माडल के मुताबिक, शुरुआती ट्रेंड से ओमिक्रॉन, डेल्टा वेरिएंट की तुलना में पांच गुना ज्यादा संक्रामक नजर आ रहा है। इसकी संक्रामकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 24 नवंबर को साउथ अफ्रीका, बोत्सवाना से इसके मरीज की सूचना डब्ल्यूएचओ को मिली और 8 दिनों में यह 31 देशों में फैल गया। ध्यान देने की बात है कि इस साल अप्रैल और मई महीने में डेल्टा ने भारत में बड़ी तबाही मचाई थी। डेल्टा से पांच गुना ज्यादा संक्रामक होना ओमिक्रॉन को काफी खतरनाक बना रहा है। राहत की बात बस यही है कि अभी तक दुनिया में ओमिक्रॉन के सभी मामले माइल्ड किस्म के मिले हैं। इसकी चपेट में आए किसी भी मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं पड़ी है। चपेट आए लोगों में सामान्य रूप से बदन दर्द की शिकायत देखने को मिल रही है। अभी सीमित डाटा के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है और आने वाले दिनों में स्थिति और स्पष्ट होगी। ओमिक्रॉन के मामले माइल्ड होने के बावजूद पिछले एक हफ्ते में दक्षिण अफ्रीका में कोरोना मरीजों के अस्पताल में भर्ती के बढ़ते आंकड़े खतरनाक संकेत दे रहे हैं। यूरोप ने बढ़ा दी है चिंता अब तक 30 देशों में ओमिक्रॉन वेरिएंट के 375 केस रिपोर्ट किए जा चुके हैं। पिछले एक हफ्ते में दुनिया में 70 परसेंट मामले यूरोप से आए हैं। एक हफ्ते में यूरोप में 2.75 लाख कोविड मामले आए। इस दौरान 29,000 से अधिक मौत के मामले दर्ज किए गए। 24 नवंबर को ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले को डब्ल्यूएचओ को रिपोर्ट किया गया था। हालांकि पहले केस 9 नवंबर को ही सामने आ गए थे। मगर जीनोम हंटिंग में समय लगा। दो दिन बाद ही इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित कर दिया गया।
Comments