नई दिल्ली, जब से कोरोना वायरस महामारी शुरू हुई है, तब से वायस के नए वैरिएंट्स और म्यूटेशन्स भी लगातार आ रहे हैं। जिसमें से डेल्टा वैरिएंट सबसे ख़तरनाक साबित हुआ। अब कोविड के एक नए वैरिएंट 'ओमीक
्रोन' से दस्तक दे दी है। सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाए गए इस B.1.1.529 नाम के स्ट्रेन को अत्यधिक ख़तरनाक माना जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका में कोविड रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि को देखते हुए, विशेषज्ञों का मानना है कि नए संस्करण में उच्च संचरण दर है। एम्स के प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया ने हाल के इंटरव्यू में नए संस्करण के कई पहलुओं पर चर्चा की और बताया कि यह कैसे मौजूदा वैक्सीन की प्रगति को प्रभावित कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने B.1.1.529 को चिंता का एक प्रकार यानी वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया है। यह वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट से तेज़ी से वैरिएंट ऑफ कंसर्न बन गया है, जिसे एक्सपर्ट्स बड़ी चिंता का विषय मान रहे हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट की तुलना में वैरिएंट ऑफ कंसर्न, संचारण में वृद्धि, अधिक गंभीर बीमारी (जैसे, अस्पताल में भर्ती या मृत्यु में वृद्धि), पिछले संक्रमण या टीकाकरण के दौरान उत्पन्न एंटीबॉडी द्वारा बेअसर होने में महत्वपूर्ण कमी, उपचार या टीकों की प्रभावशीलता में कमी से जुड़ा हुआ है। हालांकि, साउथ अफ्रीकी मेडिकल एसोसिएशन ने इसे ग़लत बताया और कहा कि ओमीक्रोन से सिर्फ हल्के लक्षण देखे जा रहे हैं, लेकिन यह तेज़ी से फैल रहा है, जिसकी वजह से लोगों के बीच चिंता बढ़ रही है। स्पाइक प्रोटीन में कई म्यूटेशन्स होने का क्या मतलब है? डॉ. गुलेरिया के अनुसार, नए संस्करण ओमीक्रोन में स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक म्यूटेशन्स हैं, जो संभावित रूप से 'प्रतिरक्षा-बचाव तंत्र' विकसित करने में मदद करता है। स्पाइक प्रोटीन वह यौगिक है, जो एक वायरस को मेज़बान कोशिका में प्रवेश करने में सक्षम बनाता है और यही वह है जो इसे अधिक संक्रामक भी बनाता है। स्पाइक प्रोटीन में अधिक म्यूटेशन होने की वजह से इसे पहचानना मुश्किल हो जाता है। अधिकांश कोविड वैक्सीन्स स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडीज़ बनाने के लिए विकसित किए गए हैं, स्पाइक प्रोटीन में कई म्यूटेशन सिर्फ टीकों को कम प्रभावी बनाते हैं, जिससे प्रभावकारिता में कमी आती है। क्या यह अधिक संक्रामक है? हालांकि अभी तक पर्याप्त डाटा उपलब्ध नहीं है, जिससे साबित हो सके कि ओमीक्रोन अधिक संक्रामक है, लेकिन साउथ अफ्रीका जहां यह वैरिएंट सबसे पहले पाया गया और तेज़ी से कोविड के मामले बढ़े, इससे एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह तेज़ी से फैल रहा है। क्या डेल्टा से ज़्यादा ख़तरनाक है ओमीक्रोन? अभी तक, डेल्टा वैरिएंट SARs-COV-2 वायरस का सबसे प्रमुख स्ट्रेन बना हुआ है। एक इंटरव्यू में, डॉ. गुलेरिया ने सुझाव दिया कि ओमीक्रोन और डेल्टा वैरिएंट के बीच कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं हैं। दोनों में ही बुख़ार, गले में ख़राश, कमज़ोरी और सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द आदि जैसे लक्षण नज़र आते हैं। हालांकि, WHO के मुताबिक, शुरुआती डाटा बताते हैं कि ओमीक्रोन के आने से दोबारा संक्रमण का ख़तरा बढ़ा है। इसका मतलब यह हुआ कि जो लोग पहले भी कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं, वे दोबारा आसानी से संक्रमित हो सकते हैं। कोविड के नए वैरिएंट से क्या वैक्सीन कम असरदार हो जाएगी? क्योंकि कोविड की वैक्सीन कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, इसलिए नए वैरिएंट वैक्सीन के काम को मुश्किल बनाते हैं। कोविड के नए वैरिएंट ओमीक्रोन ने चिंता बढ़ाई है, क्योंकि इसमें स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक म्यूटेशन्स हैं, जो कोविड वैक्सीन की प्रभाविक्ता को कम कर सकता है। सतर्कता की आवश्यकता टीकों के अलावा स्वास्थ्य पेशेवर और विशेषज्ञ लोगों को सतर्क रहने की सलाह देते हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों को निगरानी का विस्तार करने, कई कोविड परीक्षण केंद्रों की सुविधा प्रदान करने और कोवि-उपयुक्त प्रतिबंध शुरू करने की आवश्यकता है, वहीं, आम लोगों को मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और स्वच्छता बनाए रखने की ज़रूरत है। हालांकि, अभी तक नया वैरिएंट भारत में नहीं पाया गया है, लेकिन यह कभी भी देश में कोहराम मचा सकता है।
Comments