नई दिल्ली,कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रान के खिलाफ दुनिया में वैक्सीन बनाने वाली दिग्गज कंपनियों ने मोर्चा संभाल लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस वैरिएंट को ‘वैरिएंट आ
कंसर्न’ की श्रेणी में रखे जाने के साथ वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने एक नई वैक्सीन पर काम करना शुरू कर दिया है। इससे इस संकट से उबरने की एक नई उम्मीद जगी है। आइए जानते हैं कि दुनिया में वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने वैक्सीन विकास को लेकर क्या कहा है। ब्रिटेन का दावा परीक्षण के अंतिम स्टेज पर वैक्सीन इस संकट के बीच ब्रिटेन से एक राहत देने वाली एक खबर सामने आई है। ब्रिटेन ने यह दावा किया है कि सुपर म्यूटेंट कोरोना स्ट्रेन के खिलाफ मजबूत सुरक्षा देने वाली एक ब्रिटिश वैक्सीन पहले से ही अपने परीक्षण के अंतिम स्टेज पर है। कोरोना के नए संस्करण के बारे में विभिन्न वैक्सीन निर्माताओं ने वैक्सीन के विकास पर अपनी प्रतिक्रिया को साझा किया है। इसमें फाइजर/बायोएनटेक, माडर्न, एस्ट्राजेनेका, जानसन एंड जानसन और नोवावैक्स प्रमुख है। इन वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने बताया है कि वह इस वैरिएंट से मुकाबला करने के लिए आखिर वह क्या रणनीति अपना रहे हैं। फाइजर ने दिया संकेत, 2022 के शुरुआत में आएगा नया टीका 1- दुनिया में सबसे पहले कोरोना वैक्सीन बनाने वाली अमेरिकी दवा कंपनियों में शामिल फाइजर ने कहा है कि नए वैरिएंट के खिलाफ वह जल्द ही नया टीका बना लेंगे। माडर्न इंक के मुख्य चिकित्सा अधिकारी पाल बर्टन ने कहा कि इस वैरिएंट के खिलाफ नया टीका 2022 की शुरुआत में बड़ी मात्रा में उपलब्ध होगा। 2- इसके पूर्व फाइजर कंपनी ने दावा किया था कि वैक्सीन की तीसरी खुराक से कोरोना के बीटा वैरिएंट के खिलाफ बेहतर सुरक्षा मिलेगी। फाइजर और बायोएनटेक का मानना है कि बीएनटी162बी2 (BNT162b2) वैक्सीन की तीसरी खुराक में डेल्टा सहित वर्तमान में ज्ञात सभी वैरिएंट्स के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रभावकारिता के उच्चतम स्तर को संरक्षित करने की क्षमता है। कंपनी का कहना है कि कोरोना को हराने के लिए वैक्सीन की तीसरी डोज की जरूरत पड़ सकती है। 3- बायोएनटेक ने एक बयान में कहा कि यह वैरिएंट विश्व स्तर पर फैल रहा है। कंपनी ने कहा कि हमारे विशेषज्ञों ने बी.1.1.529 के वैरिएंट पर तुरंत जांच शुरू कर दी है। कंपनी ने उम्मीद जताई है कि हम दो सप्ताह में प्रयोगशाला परीक्षणों से अधिक डेटा की उम्मीद करते हैं। ये डेटा इस बारे में अधिक जानकारी प्रदान करेगा कि क्या बी.1.1.529 एक एस्केप वैरिएंट हो सकता है, जिसके लिए हमारे टीके के समायोजन की आवश्यकता हो सकती है। 4- ब्रिटिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कहा कि किसी भी नए वैरिएंट के बारे में और टीके पर उसके पड़ने वाले प्रभाव को समझने के लिए बी.1.1.529 की तलाश कर रहे हैं। आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन बनाने वाली टीम की ओर से विकसित किए गए फार्मूले पर परीक्षण के परिणाम अगले कुछ दिनों में आने वाले हैं। अगर यह फार्मूला नए वैरिएंट के खिलाफ असरदार पाया जाता है तो यह कुछ ही हफ्तों में इस्तेमाल के लिए तैयार हो सकता है। यह खबर सरकार के वैक्सीन टास्क फोर्स के एक सदस्य, इम्यूनोलाजिस्ट प्रोफेसर सर जान बेल ने दी है। 5- उन्होंने कहा कि वर्तमान में दक्षिणी अफ्रीका से नए वैरिएंट को हमारी सीमाओं में घुसने से रोकने में बहुत देर हो चुकी है। जान बेल का कहना है कि अगर वर्तमान में इस्तेमाल किए जा रहे टीके अप्रभावी साबित होते हैं तो टीके के संशोधित रूपों का इस्तेमाल करना जरूरी हो सकता है। हालांकि अच्छी बात यह है कि ब्रिटेन काफी हद तक इस संशोधन के लिए पहले से तैयार था। इसका श्रेय आक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका टीम के सदस्यों को दिया जा रहा है। 6- गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीन आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाई है। अब तक 50 से ज्यादा देशों में इसे अप्रूवल मिल चुका है। ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में हुए रिसर्च में यह सेफ और इफेक्टिव साबित हुई है। वैक्सीन से जुड़े डेटा को लेकर जरूर थोड़ा विवाद रहा। ब्रिटेन ने सबसे पहले इस वैक्सीन को अप्रूव किया था। शुरुआती नतीजों में 70 प्रतिशत तक इफेक्टिव माना था और इसी को अप्रूवल का आधार बताया था। WHO ने ‘वैरिएंट आफ कंसर्न’ की श्रेणी में रखा गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि यह नया वैरिएंट डेल्टा से ज्यादा खतरनाक हो सकता है। इसकी संक्रामकता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वैरिएंट को ‘वैरिएंट आफ कंसर्न’ की श्रेणी में रखा है। इसका मतलब साफ है कि यह उन पांच खतरनाक वैरिएंट में शामिल है, जिसने दुनिया में तबाही मचाई है। लेकिन वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने इससे मुकाबला करने के लिए अपनी कमर कस लिया है। वैरिएंट आफ कसंर्न की कैटगरी में खतरनाक वायरस कोरोना वायरस के प्रसार के दौरान विश्व स्वाथ्य संगठन अब तक पांच खतरनाक वैरिएंट्स को 'वैरिएंट आफ कसंर्न' की श्रेणी में डाल चुका है। दरअसल, वैरिएंट आफ कसंर्न वे वैरिएंट्स हैं, जो तेजी से फैलते हैं। गंभीर लक्ष्ण दिखाते हैं। उन पर वैक्सीन का प्रभाव बेअसर होता है या वैक्सीन के असर को कम कर देते हैं। 1- अल्फा वैरिएंट : कोरोना वायरस के इस वैरिएंट का असर ब्रिटेन में था। सितंबर, 2020 में ब्रिटेन में इस वायरस ने भारी तबाही मचाई थी। इसके चलते हजारों की जानें गईं थी। वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में सख्त लाकडाउन लगाया गया था। 2- बीटा वैरिएंट : दक्षिण अफ्रीका में बीटा वैरिएंट ने खतरनाक रूप ग्रहण किया था। मई, 2020 में दक्षिण अफ्रीका और उसके आस-पास के देशों में इस वायरस ने भारी तबाही मचाई थी। 3- गामा वैरिएंट : नवंबर, 2020 में ब्राजील और उसके आस-पास के इलाके इस वायरस की चपेट में थे। इस वैरिएंट ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में लिया। ब्राजील उन देशों में शामिल था, जहां कोरोना का सर्वाधित प्रभाव था। 4- डेल्टा वैरिएंट : अक्टूबर, 2020 में यह वैरिएंट भारत में कहर बनकर आया। देश में लाखों लोग इस वायरस की चपेट में आए। लाखों लोग काल के गाल में समा गए। इसके चलते देश कई महीनों तक कठोर प्रतिबंधों में रहा। 5- ओमिक्रान वैरिएंट : नवंबर, 2021 में यह वायरस सुर्खियों में है। इस वैरिएंट की चपेट में दुनिया के कई मुल्क हैं। हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वैरिएंट को लेकर अलर्ट जारी किया है। यह अब तक का सबसे खतरनाक वैरिएंट है। भारत ने भी इस वैरिएंट पर अपनी चिंता जताई है।
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