हथीन/माथुर : जिला उपायुक्त कृष्ण कुमार ने जिला के किसानों से आह्वïान किया कि धान अवशेषो को न जलाएं, क्योंकि पराली जलाने से मानवीय स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा मनुष्यों विशेषकर बच्
े व बुजुर्गो को संास लेने में परेशानी आती है। पराली जलाने से भूमि की ऊर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है। भूमि के मित्र कीट नष्ट हो जाते है। भूमि की आद्रता कम हो जाती है व मिट्टïी बिखर जाती है। साथ ही साथ पराली जलाने से उत्पन्न धुंए से सडक दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है तथा वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है। इन फसल अवशेषों को जमीन में मिलाने से भूमि की ऊर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। मित्र कीट नष्ट होने से बच जाते है। पराली प्रबंधन के लिए सरकार व्यक्तिगत व सी.एच.सी. मॉडल पर 50 प्रतिशत व 80 प्रतिशत अनुदान पर एम्पलीमेंटस उपलब्ध करवा रही है, जिससे फसल अवशेष का खेत में ही प्रबंधन किया जा सकता है तथा किसान पराली की गांठ बनाकर ब्रिकी कर सकता है, जिसका उपयोग पशुचारा व भट्टियों में और पैकेजिंग मैटेरियल में किया जा सकता है। इस पर किसान को सरकार अनुदान भी दे रही है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उच्चतम न्यायालय ने निर्देश जारी करके भी कहा गया है कि आगामी दो सप्ताह तक किसान किसी खेत में फसल अवशेषो को आग न लगाएं।
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