शीशे के पुल, पैरों के नीचे दिखते प्राकृतिक नजारें, फैल जाती हैं आंखें और ठिठक जाते हैं कदम

Khoji NCR
2020-12-20 09:29:33

नई दिल्ली, । देश के इंजीनियर शीशे का पारदर्शी पुल बनाकर एक नई तकनीकी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, ये पुल न सिर्फ देखने में आकर्षक लगते हैं बल्कि इन पर चलने में एक अजीब से रोमांच का भी अहसास होता है। अप

े पैरों के नीचे दुनिया नजर आती है। चीन ने अपने यहां कई जगहों पर इस तरह के पुल बनाए हैं जो उनके यहां पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। अब भारत के भी कुछ राज्यों में ऐसे पुल देखने को मिल रहे हैं। इन पुलों को देखने और उन पर चलने के बाद लोगों को अजीब से रोमांच का अहसास हो रहा है। कुछ पुल बनकर तैयार हो गए हैं तो आने वाले कुछ सालों में ऐसे और भी पुल देखने को मिलेंगे। उत्तराखंड उत्तराखंड सरकार ने देश में अपनी तरह के पहले ग्लास फ्लोर सस्पेंशन ब्रिज के डिजाइन को मंजूरी दे दी है। ये सख्त और आर-पार देखे जाने वाले ग्लास से बनाया जाएगा। यह पुल ऋषिकेश में गंगा नदी पर बनाया जाएगा। इस पुल को 94 साल पुराने लक्ष्मण झूले के विकल्प के तौर पर बनाया जाएगा। दरअसल सुरक्षा कारणों के चलते साल 2019 में लक्ष्मण झूले को बंद कर दिया गया था, इसी पुल के बराबर में ये शीशे का सस्पेंशन ब्रिज बनाया जाना है। पुल का डिजाइन लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा तैयार किया गया है। बिहार उधर शनिवार को बिहार शरीफ जिले के राजगीर में पहाड़ि‍यों के बीच बन रहे शीशे के पुल को देखने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद पहुंचे। इस पुल पर उन्होंने चहदकदमी भी की। उन्होंने कहा कि पुल पर आकर लोग नेचर सफारी का आनंद ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि यहां सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सब कुछ ठीक रहा तो नए साल में मार्च तक नालंदा जिले के राजगीर में बन रहे नेचर सफारी में सारे निर्माण कार्य पूरे कर लिए जाएंगे और इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। 85 फीट लंबा व 5 फीट चौड़ा यह ब्रिज 200 फीट की ऊंचाई पर बन रहा है। सिक्किम इससे पहले भारत का पहला ग्लास स्काईवॉक सिक्किम के पूर्वोत्तर राज्य में बनाया गया था। यह सिक्किम की पेलिंग में स्थित है और चेनरेज़िग की 137 फीट की प्रतिमा के ठीक सामने स्थित है। हिमालय के बीच स्थित इस ग्लास स्काईवॉक से बौद्ध तीर्थ स्थल का शानदार नजारा देखने को मिलता है। पूरा परिसर समुद्र तल से 7,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ये ग्लास स्काईवॉक प्राकृतिक धार्मिक स्थल के आकर्षण को और भी बढ़ाता है और दोनों को जोड़ने का काम करता है। पेलिंग में चिंगलिंग क्षेत्र में मूर्ति का निर्माण 46.65 करोड़ रुपये की लागत से किया गया था। इस ग्लास स्काईवॉक को बनाने का काम साल 2018 में शुरू किया गया था। इस तीर्थ स्थल पर दुनिया की सबसे ऊंची चेन्जिग प्रतिमा और साथ में ग्लास स्काईवॉक, एक कैफे और एक गैलरी मौजूद है। स्काईवॉक को पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को प्रतिमा का मनोरम दृश्य दिखाने के इरादे से बनाया गया था, जो कि सीढ़ियों तक जाती है। ग्लास स्काईवॉक कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है क्योंकि जब पर्यटक इस पर चलते हैं तो उनको नीचे का नजारा दिखाई देता है। कमजोर दिल वालों के लिए ये एक सदमे सा हो सकता है। आंध्र प्रदेश के काकीनाडा उधर आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में भी ग्लास डेक ब्रिज बनाया गया है। इसको लंबे अरसे से ब्रिज बना रही कंपनी 'एपिकॉन' ने बनाया है। ये आंध्रप्रदेश में पहला ग्लास डेक ब्रिज है। विजयवाड़ा से करीब 400 किमी दूर स्थित काकीनाडा को आंध्र सरकार टूरिस्ट स्पॉट के रूप में विकसित कर रही है। यहीं पर समुद्री कटाव के क्षेत्र में भरे पानी को पार करने की परेशानी से बचने के लिए देश का पहला पेडेस्ट्रियन ग्लास डेक ब्रिज बनाया गया है। कंपनी ने इसे 7 महीने में 45 मीटर लंबा, 2 मीटर चौड़ा और 8 मीटर ऊंचा पुल तैयार कर दिया। इसके निर्माण पर करीब 2.5 करोड़ रु. की लागत आई है। यह पुल 500 किलो प्रति वर्गमीटर का वजन बर्दाश्त कर सकता है। इसमें उपयोग किए गए टफन ग्लास की मोटाई करीब 25 मिमी है। इसके लिए 12-12 मिमी के दो ग्लासों को बीच में एक मिमी की लेमिनेटेड फिल्म रखकर साथ जोड़ा गया है। भोपाल में तैयारी अब इसी तरह का ब्रिज भोपाल में बनाए जाने की तैयारी है। ये भोपाल के रोहित नगर इलाके में बनाया जा रहा है। इसका उद्घाटन नए साल में जाएगा। इसके बाद महाराष्ट्र में चीन के जिंग जियाज में बने दुनिया के सबसे लंबे ग्लास डेक ब्रिज से भी लंबा ब्रिज बनाए जाने का प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। ये अपने आप में न केवल इंदौर बल्कि देश के नाम पर भी एक बड़ा रिकॉर्ड होगा।

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