ना डराती है, ना रोमांचित करती है भूमि पेडनेकर की दुर्गामती, साउथ का एक और कमज़ोर रीमेक

Khoji NCR
2020-12-11 07:34:38

नई दिल्ली,। राजनीतिक भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग पर हिंदी सिनेमा में अनगिनत फ़िल्में आयी हैं। नेता अपनी सत्ता और सियासत को बचाने के लिए किस तरह सरकारी तंत्र का ग़लत इस्तेमाल करते हैं, यह भी ह

िंदी सिनेमा के दर्शक सैकड़ों दफ़ा पर्दे पर देख चुके हैं। शुक्रवार को अमेज़न प्राइम पर रिलीज़ हुई भूमि पेडनेकर की दुर्गामती इसी परम्परा की एक बेहद कमज़ोर कड़ी है, जिसका ट्रीटमेंट हॉरर-थ्रिलर की तरह रखा गया। हालांकि, दुर्गामती दोनों ही मोर्चों पर विफल रहती है। दुर्गामती, तेलुगु-तमिल फ़िल्म भागमती का रीमेक है, जिसका निर्देशन जी अशोक ने किया, जिन्होंने ओरिजिनल फ़िल्म की बागडोर संभाली थी। दुर्गामती के सह निर्माताओं में अक्षय कुमार भी शामिल हैं, जो ख़ुद तमिल फ़िल्म कंचना 2 के रीमेक लक्ष्मी में लीड रोल निभा चुके हैं। दुर्गामती देखने के बाद एक सवाल ज़हन में कौंधता है, दक्षिण भारत में हिट फ़िल्म बनाने के बाद उन्हीं निर्दशकों को हिंदी में फ़िल्म बनाते वक़्त आख़िर क्या हो जाता है कि वो करिश्मा ग़ायब रहता है? जिन लोगों ने भागमती देखी है, वो इस सवाल को अधिक समझ पाएंगे। दुर्गामती की कहानी अरशद वारसी के किरदार ईश्वर प्रसाद से शुरू होती है। ईश्वर प्रसाद एक साफ़-सुथरी छवि वाला बेहद ईमानदार नेता और जल संसाधन मंत्री है। ईश्वर प्रसाद के इलाक़े में मंदिरों से पुरानी मूर्तियां लगातार चोरी हो रही हैं, जिससे लोग नाराज़ हैं। एक सभा में ईश्वर प्रसाद वादा करता है कि अगर 15 दिनों के अंदर मूर्तियां बरामद नहीं हुईं तो वो राजनीति से संन्यास ले लेगा और अपने एक विश्वासपात्र को अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर देता है। ईश्वर प्रसाद के इस एलान से सरकार में खलबली मच जाती है। ईश्वर प्रसाद जनता की नज़रों में हीरो ना बन सके, इसके लिए उसे भ्रष्टाचारी साबित करने की साजिश रची जाती है। इसके लिए सीबीआई अधिकारी शताक्षी गांगुली (माही गिल) को काम पर लगाया जाता है। ईश्वर प्रसाद के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए आईएएस ऑफ़िसर चंचल चौहान से पूछताछ करने की योजना बनायी जाती है, जो दस साल तक ईश्वर प्रसाद की निजी सचिव रह चुकी है। चंचल अपने मंगेतर शक्ति सिंह (करण कपाड़िया) के क़त्ल के इल्ज़ाम में जेल में बंद है। शक्ति, एसीपी अभय सिंह (जिशु सेनगुप्ता) का छोटा भाई था, जो स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद विदेश में अच्छी नौकरी कर रहा था, मगर समाज सेवा के लिए सब छोड़कर इस गांव में लौट आता है। गांव वाले उसका बहुत सम्मान करते हैं और उसकी एक आवाज़ पर कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। चंचल के इंटेरोगेशन को गुप्त रखने के लिए उसे जेल से जंगल के बीचोंबीच बने एक वीरान महल में शिफ्ट किया जाता है, जिसकी ज़िम्मेदारी एसीपी अभय सिंह को ही मिलती है। इस महल में शिफ्ट करने की वजह यह है कि गांव वाले इस महल को भूतिया मानते हैं और इसके आसपास जाने से भी डरते हैं। महल में रहने के दौरान चंचल को दुर्गामती के बारे में पता चलता है।

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